भांग से कैंसर का इलाज, एम्स और आयुष मंत्रालय के बीच समझौता

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देश में कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के इलाज के लिए अब नई संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। जिनमें से एक है भांग का प्रयोग। कैंसर के इलाज का एक अध्ययन चूहों पर किया गया, जिससे पता चला कि भांग की सहायता से कैंसर के मरीजों की बमारी को कम किया जा सकता है।अब एम्स के डॉक्टर भांग का इस्तेमाल इंसानों पर करने की तैयारी कर रहे हैं। आयुष मंत्रालय की संस्था सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस ने भांग (कैनबिस) से कैंसर की दवाई तैयार की है।

बताया जा रहा है कि भांग से बनी दवाईयों को देश में ही बनाया जाएगा और अगले साल तक ये उपलब्ध भी हो सकती हैं। अब एम्स कीमोथेरेपी से गुजर रहे मरीजों पर मार्च से भांग की पत्तियों से बनी दवाईयों का इस्तेमाल कर यह पता लगाया जाएगा कि यह कितनी कारगर होगी। भांग से दूसरी बीमारियों के इलाज के लिए भी दवाएं बनाने पर काम चल रहा है।

इसके लिए एम्स और आयुष मंत्रालय के बीच समझौता हुआ है। डॉ. धिमान ने बताया कि इसका उपयोग कैंसर के उन मरीजों पर किया जाता है जिनको कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी दी गई हो। थेरेपी के बाद मरीज को असहनीय दर्द, नींद न आना, भूख नहीं लगना, डायरिया और एंजायटी की समस्या रहती है। इस परिस्थितियों में ये दवा कारगर है।

बेहद उपयोगी है भांग

आमतौर पर लोग यही मानते हैं कि भांग का इस्तेमाल नशे के लिए किया जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है, भांग के कुछ पौधे ऐसे भी हैं जिनका प्रयोग मेडिकल के क्षेत्र में बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। इस अध्ययन में 450 मरीजों को शामिल किया जा सकता है। जिन लोगों को कीमोथेरेपी दी जा सके। इस तरह के कुछ ड्रग्स का इस्तेमाल इलाज के लिए अमेरिका और यूरोप में भी किया जाता है।

काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के डायरेक्टर राम विश्वकर्मा का कहना है कि दवाईयां कैनाबिस (भांग) पर आधारिक होंगी। जो कि पौधे में मोजूद एक पदार्थ है। यह बेहद उपयोगी है। दुर्भाग्य से इसके प्रति आसपास गलत धारणाएं हैं। जिसके कारण इसपर लंबे समय तक अध्ययन नहीं हो पाया।

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